۲۴ آبان ۱۴۰۳ |۱۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 14, 2024
बहरैन

हौज़ा / बहरैन के वरिष्ठ धर्मगुरुओं ने सरकार द्वारा जुमआ (शुक्रवार) की नमाज़ पर लगाई गई पाबंदी को मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,बहरैन के वरिष्ठ धर्मगुरुओं ने सरकार द्वारा जुमआ (शुक्रवार) की नमाज़ की अदायगी पर लगाई गई पाबंदी के खिलाफ एक निंदा भरा बयान जारी करते हुए इसे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर हमला करार दिया।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि नमाजियों को मस्जिदों तक पहुंचने से रोकना एक अस्वीकार्य कार्य है और मुसलमानों को बिना किसी बाधा के अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

बयान का पाठ निम्नलिखित है:

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

जुमआ की नमाज एक महत्वपूर्ण फर्ज और इस्लामी प्रतीकों में से है इस पर पाबंदी लगाना और लोगों को इससे वंचित करना दैनिक अनिवार्य नमाजों पर पाबंदी लगाने के समान है।

हमें इस बात पर खेद है कि बहरीन में अलखराज क्षेत्र स्थित मस्जिद इमाम सादिक अलैहिस्सलाम में जुमआ की नमाज की अदायगी को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रतिबंधित किया गया है और इस मस्जिद तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

धार्मिक दृष्टिकोण से यह अन्याय है कि मुसलमानों को उनके धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने से रोका जाए जबकि अन्य गैरधार्मिक समारोहों को स्वतंत्र रूप से अनुमति दी जाए।

हम वक्फ-ए-जाफरिया विभाग की उन कार्रवाइयों की भी निंदा करते हैं जो मस्जिद में जुमा की नमाज की अदायगी में रुकावटें पैदा कर रही हैं और इमामों को इस कर्तव्य को निभाने से रोकने के आदेश जारी कर रही हैं।

इस विभाग को इस्लामी शरीयत का पालन करते हुए धर्म और फिक्ह के विशेषज्ञ उलेमा की मार्गदर्शन में रहना चाहिए और किसी भी ऐसे कदम से बचना चाहिए जो मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों के खिलाफ हो।

8 जमादीउ अव्वल 1446 हिजरी क़मरी

गौरतलब है कि अलखलीफा सरकार ने 4 अक्टूबर 2024 से बहरीन में जुमाआ की नमाज पर पाबंदी लगा रखी है।

यह कदम उस समय उठाया गया जब जनता ने हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत की याद में कार्यक्रम आयोजित करने इस्लामी प्रतिरोध का समर्थन करने इज़राइल के साथ संबंधों की बहाली का विरोध करने और बहरीन से इजरायली राजदूत को निकालने की मांग की हैं।

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